शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

यादें- वैलेंटाइन डे / लगता है तुम यहीं कहीं हो

                                                           
( एल.एस. बिष्ट ) -लगता है ऐसा कि तुम यहीं कहीं हो । बिल्कुल चंचल हिरणी की तरह, कुंलाचे मारती हुई । छोटी छोटी बातों मे तुम्हारा रूठना और फिर कुछ दिन के लिए मुंह फुलाना ।समय की तेजधारा मे जिंदगी के रंग चाहे कितने ही चटक या भदेस हो गये हों, तुम्हारी यादों का काफिला आज भी जिंदा है ।
हमारे उस प्यारे से स्कूल की वह लंबी लंबी सैनिकों की बैरकें, शहर की चकाचौंध और शोर-शराबे से दूर, आज भी वहीं खडी हैं । लेकिन अब शायद उसकी दीवारों का इतिहास बदल गया है । बस एक दिन यूं ही जाना हुआ या यूं कहूं कि धुंधलाती तस्वीरों के मिट जाने से पहले उस किशोरवय उम्र के खूबसूरत, मासूम दिनों को जी भर महसूस कर लेने की जिद यह मन कर बैठा ।
कितना बदल गया.......आंखों ने सहज विश्वास नहीं किया । जहां के चप्पे चप्पे पर उम्र की अनगिनत निशानियां थीं उन्हीं का पता राहगीरों से पूछ्ना पडा । लेकिन अच्छा लगा यह देख कर कि आम का वह पेड जिसके नीचे अक्सर तुम मिल जाया करती थी और जिसके खट्टे आम तुम्हें कभी पसंद नही आए, बहुत बडा होकर एक वट वृक्ष की तरह आज भी खडा है । लेकिन चार दशकों के बीते कालखंड् ने उसे भी वैसा नही रहने दिया । अब वह बहुत बूढा , जर्जर और असहाय सा मानो बस अपनी जिंदगी के दिन गिन रहा हो । न जाने हमारे कितने पलों का गवाह रहा है वह । लेकिन उसे इस तरह से बुढाते देखना बिल्कुल अच्छा नही लगा...पता नही क्यों ।
प्रिसिपल सर के कमरे के सामने वाला वह पीपल का पेड अब कहीं नही दिखा और न ही गूलर का वह पेड जिसके मीठे गुलरों को खाने के लिए क्लास के साथियों मे एक होड सी लगी रहती थी । हमारी यादों के ये निशां शायद जमींदोज हो गये ।
वह बडा सा फुटबाल मैदान जो कभी लंच टाइम मे भर जाया करता था और खाने पर झपटती वह चीलें, जिनसे खाना बचाना भी एक जंग जीतने के बराबर हुआ करता था अब शायद दुनिया मे नही होंगी । लेकिन उनका वह झपटना और एक दिन तुम्हारे हाथों पर उनके तेज पंजों का लग जाना, आज भी याद है.....शायद तुम्हे भी ।
रफ्ता रफ्ता गुजरती जिंदगी मे बीते हुए पलों के अक्स अब धुंधलाने लगे हैं । लेकिन फिर भी ऐसा कुछ है कि समय की तेज धारा उन्हें कभी न मिटा सकेगी । तुम्हारा वह चिढाना और घर के नाम से पुकारना....लगता है कल की ही बात है ।

बहुत कुछ है उन यादों के समंदर में । लेकिन कभी सोचता हूं कि जिंदगी मे ऐसा होता तो कैसा होता.....तुम होती तो .....। लेकिन ऐसा हो न सका । तुम कहां हो, पता नहीं दुनिया की इस भीड में.......शायद कभी न तलाश सकूंगा तुम्हे...फिर भी तुम जहां भी हो...हैप्पी वैलेंटाइन डे , नीलू । 

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