आज जब दुनिया से हंसी गायब हो रही है बरबस याद आते है चार्ली चैपलिन । दुनिया भर के बच्चे जिस चेहरे को आसानी से पहचान लेते है वह चार्ली चैपलिन का ही है। चैपलिन की फिल्म 'द किड' 1921 में बनी थी उसमे चैपलिन के साथ एक चार साल के बच्चे जैकी कूगन ने अदभुत अभिनय किया था । 'द किड के बाद चैपलिन बुढापे मे कूगन से मिल पाए । यह एक मार्मिक मुलाकात थी । 4 साल का बच्चा अब 57 साल के गंजे आदमी मे बदल चुका था। बूढे चैपलिन की आखो मे आंसू आ गए।
चार्ली की आत्मकथा 1964 में छपी थी। उस समय वह 75 के थे पांच सौ से भी अधिक पृष्ठों वाली इस किताब में चैपलिन ने यादों के सहारे अपने लंबे जीवन का पुनसर्जन किया था । कैसा था उनका बचपन और उनकी जिंदगी, यह सब लिखा है चैपलिन ने ।
"सच तो यह है कि गम और तनाव में डूबे, लोगों को हंसाने वाले मुझ मसखरे कलाकार की जिंदगी में घोर अंधेरा रहा है। सच तो यह है कि मेरी जिंदगी का सफर भीड़ भरे शहर लंदन से शुरू हो कर हालीवुड की रंगीन दुनिया में जाकर ही खत्म नहीं होता । इस सफर में बहुत से मोड़ हैं। जहां शोहरत और ग्लैमर का उजाला ही नहीं बल्कि घोर गरीबी और हालातों का गहरा अंधेरा है। ऐसा अंधेरा जिसे भरपूर उजाले के हाथ कभी छू तक नहीं सके। मेरी यादों में एक छोटा सा घर, उसके अंदर सिमटी दुनिया अब भी जिंदा है । पिता की मौत के बाद किस तरह बदल गई थी मेरी दुनिया और मैं किस तरह घर की सुरक्षित बाहों से छिटक कर मां के साथ खुले आसमान के नीचे आ गया, यह भूला भी कैसे जा सकता है। मैं एक तरह से अनाथ हो गया। पेट की आग ने मुझे कब थिएटर में ला खड़ा किया पता नहीं। रोटी के लिए लगाए गए ठहाकों और मसख़री में मेरी जिंदगी के दुख दर्द पता नहीं कहां दब गए। मैंने दुनिया को हंसाया और हंसते हुए देखा लेकिन मै कब रोया किसी को पता नहीं।"
बुढापे को चार्ली ने अपनी ही शर्तों पर स्वीकार किया । आज चैपलिन हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी फिल्में हमेशा साथ रहेगी। 25 दिसंबर 1977 को यह मसखरा दुनिया को हंसता छोड विदा हो गया।