मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

कहां खो गई वह पहली तारीख


     दिन है सुहाना आज पहली तारीख है खुश है जमाना आज पहली तारीख है कभी यह गीत रेडियो से हर माह की पहली तारीख को सुनाया जाता था यह सिलसिला वर्षों तक चला दर-असल 70 और 80 का वह एक दौर था जब इस गीत का जुडाव हम अपनी जिँदगी से गहरे महसूस करते थे बचपन की यादोँ मे आज भी उस पहली तारीख की अनगिनत धुधंली यादें हैं लेकिन अब यह गीत सिर्फ  यादों का हिस्सा बन कर रह गया है शहरों के मध्यमवर्गीय परिवारों की नई पीढी की जिँदगी अब इस गीत से कहीं नही जुडती   बच्चे अब पहली  तारीख का इंतजार नही करते आखिर करें भी तो क्यों उनके लिए तो हर तारीख पहली है
     दर-असल इस गीत की पहली तारीख उस दौर की मध्यमवर्गीय परिवारों की कठिन जिंदगी को अभिव्यक्त करती रही है आय के सीमित साधन, कम वेतन और बडे परिवारों की जिम्मेदारियां तीस दिन के महीने को पहाड सा बना दिया करती थीं अकस्मात खर्चे तो पहले से ड्गमगाती परिवार की नैया के लिए किसी निर्मम लहर के प्र्हार से कम नहीं महसूस होते । लेकिन हिचकोले खाती परिवार की नैया कभी डूबती भी नही थी बिन बुलाए मेहमान की तरह आए वह खर्चे भी येनकेन निपटा लिए जाते
     पहली तारीख का महत्व इस बात से ही पता चल जाता है कि परिवार के सभी सदस्यों की छोटी-बडी मांगों पर पहली तारीख तक इंतजार करने की तख्ती लगा दी जाती  और इस इंतजार का भी अपना मजा था लेकिन कभी कधार पहली तारीख को मिली वेतन की छोटी गड्डी अपनी लाचारगी भी प्रकट कर दिया करती और फिर अगली पहली तारीख का इंतजार
     परिवार के सदस्यों की मांगों की फेहरिस्त लंबी जरूर होती लेकिन ज्यादा भारी भरकम खर्च वाली नहीं कि पूरा किया जा सके किसी को नई कमीज चाहिए तो किसी की इकलोती अच्छी पतलून अपना जीवनकाल पूरा कर चुकी है उसे भी नई चाहिए कोई नई फ्राक के लिए जिद किए बैठी है
     शादी-ब्याह के अवसरों पर खर्चों का तालमेल बैठाना ठीक वैसा ही होता जैसा दस दलों की खिचडी सरकार को चलाना जिसकी मानो वही मुह फैलाए बैठा है लेकिन शायद यह उस दौर के परिवारों की तासीर थी कि सबकुछ हंसी खुशी निपटा लिया जाता
     पहली तारीख के ठीक पहले वाली रात का भी अपना महत्व था हिसाब-किताब समझने की रात हुआ करती थी बनिए के उधार खाते से लेकर दूसरों से ली गई नगदी की देनदारी और फिर महीने भर के राशन के खर्चे से लेकर तमाम दूसरे खर्चों पर गंभीर चिंतन और बहस का भी एक दौर चला करता इसमें बच्चों की भागीदारी की कोई गुंजाइस नही होती उन्हें तो बस अपनी जरूरतों के पूरा होने का ही इंतजार रहता वित्त मंत्री की तरह इस हिसाब-किताब का सारा जिम्मा माता-पिता ही उठाते और इस रात के बाद आती नई सुबह यानी पहली तारीख की सुबह - एक सुहानी और उम्मीदों से भरी सुबह
     उम्मीदों और खुशियों की यह पहली तारीख की महिमा पारिवारिक स्तर तक ही सीमित नही थी बल्कि उस दौर की बाजार सामाजिक संस्कृति भी बहुत हद तक प्रभावित थी सिनेमाहाल की भीड अपने आप बता दिया करती कि अभी महीने के शुरूआती दिन हैं तीन बजे का मेटिनी शो का टिकट मिलना किसी जंग जीतने के बराबर हुआ करता और टिकटों की ब्लैक भी पहले स्प्ताह मे अपने चरम पर रहती मानो उन्हें भी पहली तारीख का ही इंतजार हो कि कब रिक्शे-तांगों मे लदे परिवार सिनेमाहाल तक पहुंचेगें और बच्चे हर हाल मे सिनेमा देख कर ही जाने की जिद करेंगे अब चाहे टिकट तीन गुने दाम पर ही क्यों खरीदना पडे यह नजारे अक्सर देखने को मिलते
     सिनेमा ही नही, बाजारों की रौनक भी महीने के पहले सप्ताह मे देखते बनती   कपडों और जूतों की दुकानों से लेकर गोलगप्पे ( बताशेके ठेलों तक सभी जगह रैल-पैल नजर आती दुकानदारों को भी मानो पहली तारीख का ही इंतजार रहा हो वह भी यह जानते थे कि यह चार दिन की चांदनी है फिर उधार देकर ही सामान बेचना होगा और पैसे के लिए पहली तारीख तक इंतजार करना होगा लेकिन कभी किसी को कोई परेशानी नहीं होती लेने वाले को और ही देने वाले को दोनो को पता है कि पहली तारीख तो आनी ही है
     ऐसे ही जिंदगी के हर पहलू से जुडी थी वह पहली तारीख ऐसा लगता था कि वह मात्र एक तारीख नही थी जो जिंदगी मे इस तरह से रच बस गई थी उसका इंतजार , उसका आना और फिर गुजर जाना , जाने कितने रूपों मे जिंदगी के रंगों को बदल दिया करता  था  
     बहरहाल, वह एक दौर था जो गुजर गया आज उस दौर के बच्चे उम्र का एक लंबा सफर तय कर चुके हैं बदले सामाजिक परिवेश में अपने को ऐन-केन ढालते शायद ही कभी उन सुनहले दिनों को भूल पाते हों समृध्दि , सुख-सुविधाओं और आधुनिक होते जीवन के बीच भी उन्हें कभी कभी याद आते हैं वह अभाव भरे, सुविधाविहीन जीवन के सहज, सरल लेकिन उल्लास भरे बीते लम्हें , जो लौट कर कभी नहीं आयेंगे लेकिन शायद यादों के लंबे काफिले मे उन दिनों के धुंधले अक्स हर किसी की यादों मे हमेशा जिंदा रहेंगे

                                  एल.एस. बिष्ट,
                                  11/508, इंदिरा नगर, लखनऊ-16
                                  मेल - lsbisht089@gmail.com



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