गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018

नाकाम मोहब्बत की एक दास्तां / मधुबाला (पुण्य तिथि 23 फरबरी )



“ हमे काश तुमसे मुहब्बत न होती, कहानी हमारी हकीकत न होती .........



शायद यह किसी को भी न पता था कि सिनेमा के परदे पर अनारकली बनी मधुबाला पर फिल्माया यह गीत उनकी असल जिंदगी का भी एक दर्दनाक गीत बन  जाएगा  और बेमिसाल हुस्न की मलिका की जिंदगी नाकाम मोहब्बत की एक दर्दनाक  दास्तां  | लेकिन ऐसा हुआ | आखिरकार  तन्हा जिंदगी को समेटे “  पूरब की वीनस “  कही जानी वाली अपार सौंदर्य की इस मालिका ने  23 फ्रबरी 1969 को इस दुनिया को अलविदा कहा था | लेकिन एक दौर गुजर जाने के बाद भी , मुझ जैसे करोड़ों सिने प्रेमियों की यादों मे वह आज भी जिंदा हैं |

       एक अजीब इत्तफाक ही तो है कि 14 फरबरी यानी वेलेंटाइन डे पर इस दुनिया मे आने वाली इस बेमिसाल अदाकारा को न सिर्फ ताउम्र प्यार के लिए तरसना पड़ा बल्कि वह नाकाम मोहब्बत के दंश ताउम्र झेलती रहीं |

       कहते हैं कमाल अमरोही की मोहब्बत मे चोट खाई मधुबाला ने दिलीप कुमार को जुनून की हद तक चाह और प्यार किया लेकिन एक मोड पर आकर यह दास्तान-ए-मोहब्बत भी दफन हो गई और इसी के साथ मधुबाला की तमाम हसरतें भी |

       यह बहुत कम लोग जानते हैं कि सिल्वर स्क्रीन की इस मालिका को जिसने हिंदी सिनेमा की आज तक की सबसे बेमिसाल फिल्म मुगल-ए-आजम मे अनारकली का कभी न भूल सकने वाला किरदार निभाया , जीते जी कोई पुरस्कार नही मिला |  भाग्य का सितम देखिये कि एक ऐसी अदाकारा  जिसने शौक से नही बल्कि अपनी गरीबी से निजात पाने और घर चलाने के लिए नौ वर्ष की उम्र मे सिनेमा की दुनिया मे कदम रखा , उसे जिंदगी के आखिरी कुछ साल अपनी बीमार काया के साथ बिस्तर पर गुजारने पड़े | दर-असल उनके दिल मे एक छेद था और वह उन्हें मौत के आगोश तक ले आया | मात्र 36 वर्ष की उम्र मे हुस्न की इस मलिका को  इस दुनिया से अलविदा कहना पड़ा  | 

       बेशक वह अब इस दुनिया मे नही हैं लेकिन आज भी मोहब्बत मे नाकाम प्रेमियों की उदासियों मे उनकी  दर्दभरी यह आवाज सुनाई देती है....... मोहब्बत की झूठी कहानी पे  रोये , बड़ी चोट खाई जवानी मे रोये | विनम्र श्र्ध्दांजलि |  

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