क्यों गाती है बुलबुल मीठे गीत (एक रहस्य कथा )

फरिश्ते ने एक दिन सभी पक्षियों को इकट्ठा होने
को कह दिया । दुनिया भर के पक्षी आकर इकट्ठे हो गये । उसने सभी की हाजिरी ली लेकिन
एक मैना को शरारत सूझी । उसने फरिश्ते का हाजिरी वाला कागज उड़ा लिया । जब किसी
तरह वह कागज मिला तो वह जगह जगह से फटा और मिट्टी से सना हुआ था । खैर फरिश्ते ने
मान लिया कि दुनिया के सभी पक्षी हाजिर हैं (वास्तव मे ऐसा था नहीं ) भगवान को खबर
पहुंचा दी गई कि वे आने की कृपा करें ।
यह जान कर कि सभी पक्षी उपस्थित हैं भगवान
कई प्रकार की चोचों से भरा एक बड़ा थैला और रंगों का डिब्बा लेकर आ गये । भगवान ने
सभी पक्षियों को बताया कि सभी को अलग अलग रंग दिए जाएंगे और हर पक्षी को अपनी पसंद
का रंग और चोंच चुनने की छूट है । यह सुन सभी पक्षी खुशी से झूम उठे ।

इसी प्रकार एक के बाद एक पक्षी आते रहे ओर
अपनी पसंद का रंग करा चहकते हुए अपने देश की तरफ उड़ जाते । मोर को खुश करने के
लिए भगवान को बहुत मेहनत करनी पड़ी लेकिन अंत में वह एक खूबसूरत पक्षी के रूप में
दिखने लगा । लेकिन बेचारा मोर भगवान को खुश करने के लिए कोई गीत भी न गा सका ।
अलबत्ता वह झूम झूम कर नाचने लगा ।
अब बहुत से पक्षी जा चुके थे । भगवान को
थैले में एक बड़ी सी चोंच नजर आई । उन्होने सोचा शायद यह गलती से बन गई । वह उसे
फेंकने वाले थे कि चील आ गई । उसने वही चोंच पसंद कर ली और भगवान ने उसे वह दे दी
। जब भगवान रंग लगाते लगाते थक गये तब उन्होने बाकी बचे पक्षियों से कहा कि वह
अपने आप अपनी पसंद का रंग लगा लें । यह कहने भर की देर थी कि सभी टूट पड़े । मैना,
टिटहरी, नीलकंठ सभी ने जी भर कर रंग लगाया ।
अब न कोई चोंच बची थी और न रंग। भगवान और फरिश्ता
दोनो पर्वत से उतरने लगे। फरिश्ते ने भगवान से कहा देखिये दुनिया कितनी खूखसूरत हो
गई है । यह देखिए काली कोयल कैसे गा रही है । तोता कितना सुदंर लग रहा है । अभी वह
जंगल से जा ही रहे थे फड़फड़ाहट की आवाज सुनी । इतने में एक चिड़िया झाड़ियों से
बाहर निकली। वह बुलबुल थी । “प्रभु मुझसे अभी अभी उसने कहा कि आपने सभी को नया रंग
देने के लिए बुलवाया था । मैं अंदर झाड़ियों में रहती हूं, किसी ने मुझे खबर नही
दी । मुझे अभी पता चला तो भागी भागी आ रही हूं । कहीं मुझे ज्यादा देर तो नही हो
गई ।“
भगवान बोले यहां मेरी उंगली पर तो बैठो । अब
जरा चोंच खोलो । भगवान ने सुनहरे रंग वाला ब्रुश उठाया और धीमे से बुलबुल की जुबान
से छुआ दिया । रंग का स्वाद इतना तीखा था कि वह तुरंत उड़ कर झाड़ियों में चली गई
। फिर अचानक ही उसने गाना शुरू कर दिया । दुनिया में किसी ने इतना सुरीला कंठ पहले
नहीं सुना था । इंसान, पशु-पक्षी सभी मंत्रमुग्ध हो गए । भगवान और फरिश्ता भी काफी
देर तक बुलबुल का मीठा गाना सुनते रहे और फिर चल पड़े । काफी दूर पहुंच जाने पर भी
भगवान के कानों में उसके मधुर गीत की आवाज सुनाई दे रही थी । तब से आज तक बुलबुल
अपने मीठे बोलो से सभी का मन मोहती रहती है। (यह कथा रिचर्ड एडम्स की पुस्तक ‘द
आइरन वुल्फ ऐंड अदर स्टोरीज ‘ पर आधारित है )
संपर्क :
एल.एस. बिष्ट,
11/508, इंदिरा नगर
लखनऊ- 226016
मो. 9450911026
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